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कितना पुरअसर होता है ये फासला ज़िन्दगी में ऐ 'हर्ष'
यादों के निशाँ भी दिल-ओ-दिमाग से नदारद हुए जाते हैं |
__________________________हर्ष महाजन
कितना पुरअसर होता है ये फासला ज़िन्दगी में ऐ 'हर्ष'
यादों के निशाँ भी दिल-ओ-दिमाग से नदारद हुए जाते हैं |
__________________________हर्ष महाजन
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