Thursday, January 9, 2014

दस्तूर जहाँ का इस तरह का हो गया है



दस्तूर जहाँ का इस तरह का हो गया है,
मेरा वज़ूद खुद मुझ से खफा हो गया है ।
जाने किस तरह काफूर हुई दिल से चाहत,
आँख का हर इक कतरा बे-वफ़ा हो गया है । 

____________हर्ष महाजन

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