...
ऐसा सैलाब अब...मेंरी आखों में क्यूँ ,
ख्वाब मेरे मुसलसल सलाखों में ज्यूँ |
था सुना इश्क पर......है खुदा मेहरबां,
फिर उठा अंजुमन से वो लाखों में क्यूँ |
ख्वाब मेरे मुसलसल सलाखों में ज्यूँ |
था सुना इश्क पर......है खुदा मेहरबां,
फिर उठा अंजुमन से वो लाखों में क्यूँ |
___________हर्ष महाजन
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