Friday, May 4, 2018

क्यूँ न अश्कों का साथी बनूँ हमसफर

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क्यूँ न अश्कों का साथी बनूँ हमसफर,
जी रहा  बिन तेरे ज़िन्दगी का सफर ।
 आओ ठहरो तसव्वर में कुछ देर सँग,
हिज़्र कैसे सहूँ कैसे दूँ ये खबर ।

हर्ष महाजन
212/212/212/212

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