...
कितनी यादें छिपी हैं उनकी खामोश आंखों में,
डर लगता है कहीं उफ़क न पड़ें मेरे आने से ।
--------------हर्ष महजन
कितनी यादें छिपी हैं उनकी खामोश आंखों में,
डर लगता है कहीं उफ़क न पड़ें मेरे आने से ।
--------------हर्ष महजन
इस ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव के साथ कई कवि सम्मेलनों और महफ़िलों में शिर्कत करते हुए ज़हन से निकले अहसास, अल्फास बनकर किस तरह तहरीरों में क़ैद हुए मुझे खुद भी इसका अहसास नहीं हुआ | मेरे ज़हन से अंकुरित अहसास अपनी मंजिल पाने को कभी शेर, नज़्म , कता, क्षणिका, ग़ज़ल और न जाने क्या-क्या शक्ल अख्तियार कर गया | मैं काव्य कहने में इतना परिपक्व तो नहीं हूँ | लेकिन प्रस्तुत रचनाएँ मेरी तन्हाइयों की गवाह बनकर आपका स्नेह पाने के लिए आपके हवाले है उम्मीद है आपका सानिध्य पाकर ये रचनाएँ और भी मुखर होंगी |
बहुत ही खुबसूरत
ReplyDeleteबहुत उम्दा लिखा है.
Raksha Bandhan Shayari
बहुत अच्छा लेख है Movie4me you share a useful information.
ReplyDeletewah
ReplyDeleteWhat a great post!lingashtakam I found your blog on google and loved reading it greatly. It is a great post indeed. Much obliged to you and good fortunes. keep sharing.shani chalisa
ReplyDeletegta5apk.buzz
ReplyDeleteI am very happy to see this post because it is very useful for me because there is so much information in it