Wednesday, April 8, 2020

नुक़्ता क्या होता है ?



नुक़्ता

ग़ज़ल कहते वक़्त जब हम शब्दावली का प्रयोग करते हैं तो अक्सर हम उर्दू के लफ़्ज़ भी इस्तेमाल करते हैं । लेकिन लफ्ज़ के ग़लत इस्तेमाल से ग़ज़ल के अर्थ का अनर्थ हो जाता है ।

नुक़्ता किस तरह इसे लिखने में प्रयोग करते हैं ।

नुक़्ता वैसे तो ये एक अरबी भाषा का लफ्ज़  होता है, जिसका सामान्य भाषा में मतलब बिंदु होता है। इसकी पहचान बहुत ही आसान है। क्योंकि ये किसी अक्षर के नीचे लगा बिंदु होता है। जैसे ज़, क़, ख़ आदि। अगर ये किसी अक्षर के साथ लग जाता है और उससे किसी शब्द का निर्माण होता है, तो उसका अर्थ सामान्य शब्द से यानी बिना बिंदु वाले शब्द से अलग हो जाता है।

उदाहरण के लिए जमाना शब्द में नुक़्ता का प्रयोग नहीं हुआ है और यहां इसका अर्थ जमा देने से है। ठीक इसके विपरीत अगर हम ज के नुक्ता लगा दें जैसे ज़ और अब इससे किसी शब्द का निर्माण करे जो पहले बताए शब्द की तरह हो, तो उसका अर्थ बदल जाता है। जैसे - ज़माना। अब यहां इस शब्द का अर्थ जमा देने से नहीं बल्कि दुनिया होता है।
इसी तरह विशेष रूप से 5 ऐसे व्यंजन हैं जिन्हें नुक़्ता के आधार पर प्रयोग किया जाता है। ये 5 शब्द हैं
क, ख, ग, ज, और फ है।

 नीचे  कुछ ऐसे ही मिलते जुलते शब्द देख सकते हैं। साथ ही हम ये भी देखेंगे कि इनका गलत प्रयोग करने पर इनके अर्थ में कितना बड़ा अंतर आ जाता है।

आइये देखते हैं नुक़्ता वाले और बिना नुक्ता वाले शब्द । जिन पर स्टार लगा है वो नुक़्ता वाले शब्द हैं ।

ज़माना* - दुनिया
जमाना - ठोस करना
राज़* - रहस्य
राज - शासन
खाना - भोजन
ख़ाना* - जगह
खुदा - खोदने से
ख़ुदा* - परमात्मा
सज़ा* - दंड
सजा - सजावट से
क़मर* - चन्द्रमा
कमर - शरीर का हिस्सा
क़िताब*=कुर्ते आदि का गला
किताब=पुस्तक
ख़सरा*=हिसाब का कच्चा चिट्ठा
खसरा=एक तरह की बीमारी
ग़ुल*=शोर
गुल=फूल
ज़रा*=थोड़ा, कम
जरा=वृद्धावस्था, बुढ़ापा
तेज़*=तीव्र, फुर्तीला
तेज=आभा, दीप्ती, कांति
नुक़्ता*=बिंदु
नुक्ता=सूक्ष्म, बारीक़, ऐब
हैज़ा*=दस्त
हैजा=युद्ध
बाग़*=उपवन
बाग=बागडोर

ऐसे बहुत से शब्द और भी हैं जिनका ग़ज़ल कहते वक़्त तो मालूम नहीं चलता जब उन्हें कलम बध्द किया जाता है तो ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है ।

मिलेंगे किसी और टॉपिक के साथ ।
धन्यवाद
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नॉट:-
 नुक़्ता हिंदी या देवनागरी या  गुरमुखी और अन्य ब्राह्मी परिवार की लिपियों में भी किसी व्यंजन अक्षर के नीचे लगाए जाने वाले बिंदु को कहते हैं। इस से उस अक्षर का उच्चारण परिवर्तित होकर किसी अन्य व्यंजन का हो जाता है।

जैसे -

'ज' के नीचे नुक्ता लगाने से 'ज़' बन जाता है और 'ड' के नीचे नुक्ता लगाने से 'ड़' बन जाता है।

नुक़्ते ऐसे व्यंजनों को बनाने के लिए प्रयोग होते हैं, जो पहले से मूल लिपि में न हों, जैसे कि 'ढ़' मूल देवनागरी वर्णमाला में नहीं था और न ही यह संस्कृत में पाया जाता है।

नुक़्ता का प्रयोग किन वर्णों में किया जाता है
उर्दू, अरबी, फ़ारसी भाषा से हिंदी भाषा में आए क, ख, ग, ज, फ वर्णों को अलग से बताने के लिए नुक़्ता का प्रयोग किया जाता है क्योंकि नुक़्ता के बिना इन भाषाओं से लिए गए शब्दों को हिंदी में सही से उच्चारित नहीं किया जा सकता। नुक़्ता के प्रयोग से उस वर्ण के उच्चारण पर अधिक दबाव आ जाता है।
जैसे -

हिंदी में 'खुदा' का अर्थ होता है - 'खुदी हुई ज़मीन' और नुक़्ता लग जाने से 'ख़ुदा' का अर्थ 'भगवान्' हो जाता है।

हिंदी में 'गज' का अर्थ होता है - 'हाथी' और नुक़्ता लग जाने से 'गज़' का अर्थ 'नाप' हो जाता है।

कुछ नुक़्ता वाले शब्द
कमज़ोर, तूफ़ान, ज़रूर, इस्तीफ़ा, ज़ुल्म, फ़तवा, मज़दूर, ताज़ा, फ़कीर, फ़रमान, इज़्ज़त आदि।

क, ख, ग में नुक़्ता का प्रयोग हिंदी भाषा में अनिवार्य नहीं है परन्तु ‘ज़’ और ‘फ़’ में नुक़्ता लगाना आवश्यक है।

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