Monday, June 29, 2020

रदीफ़ दोष:: पोस्ट-3

◆Post-3◆

रदीफ़ दोष (b)

■■​तहलीली रदीफ़ ■■
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ग़ज़ल कहने वाले रदीफ़ तो जानते हैं मगर तहलीली रदीफ़ के बारे में कम ही लोग वाक़िफ़ हैं। आओ तहलीली रदीफ़ क्या होता है आज ये भी देख लें :-
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जब रदीफ़ इस तरह से क़ाफिये के बाद आये कि वह क़ाफिये में योजित हो जाए… सरल शब्दों में कहा जाए तो मिक्स (MIX) हो जाए तो ऐसे रदीफ़ को तहलीली रदीफ़ कहते हैं।

उदाहरण
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सब से मिलता है जो रो कर
रह न जाये ख़ुद का हो कर ।

ले मज़ा आवारगी का
मंज़िलों को मार ठोकर ।

 ऊपर मतले के अनुसार 'रो', 'हो' काफ़िया है और 'कर' रदीफ़ है ।
मगर दूसरे शेर में ' ठोकर' शब्द में काफ़िया और रदीफ़ आपस में जज़्ब होकर प्रयोग हुए हैं । अर्थात रदीफ़ काफिये के साथ चस्पा हो गयी है । इसे ही तहलीली रदीफ़ कहते हैं ।

■■नोट"■■

अधिकतर उर्दुदान इसे तहलीली दोष मानते हैं । लेकिन कुछ अरूजी इसे दोष नहीं मानते ।
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■■क्रमशः■■

◆◆अगला Post-4-रदीफ़ दोष(c) रब्त न होना◆◆

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