Meri tanhaaiyoN me ab tu mujhe bulaane lagi hai
Meri manzileiN jo adig thieN unhe hilaane lagi hai
KyuN nahiN karte hisaab un beete hue lamhoN ka
Naahak hi be-dardi se tu mujhe sataane lagi ha
इस ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव के साथ कई कवि सम्मेलनों और महफ़िलों में शिर्कत करते हुए ज़हन से निकले अहसास, अल्फास बनकर किस तरह तहरीरों में क़ैद हुए मुझे खुद भी इसका अहसास नहीं हुआ | मेरे ज़हन से अंकुरित अहसास अपनी मंजिल पाने को कभी शेर, नज़्म , कता, क्षणिका, ग़ज़ल और न जाने क्या-क्या शक्ल अख्तियार कर गया | मैं काव्य कहने में इतना परिपक्व तो नहीं हूँ | लेकिन प्रस्तुत रचनाएँ मेरी तन्हाइयों की गवाह बनकर आपका स्नेह पाने के लिए आपके हवाले है उम्मीद है आपका सानिध्य पाकर ये रचनाएँ और भी मुखर होंगी |
kaun satane lagi hai haa???
ReplyDeleteachchha hai 4 liner
Beautiful
ReplyDeleteShukriyaa^h Sakhi ji our sumant ji...umeed hai aap isi tarah hounsila afzaayii kerte raheNge
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