सिंहासन अब हिल उठे हैं अन्ना तेरी बारी है
भ्रष्टाचारी सिस्टम पर बस लोकपाल अब तारी है |
भूल गए आज़ादी जो कीमत नहीं पहचानी थी
भूल गए आज़ादी जो कीमत नहीं पहचानी थी
भारत के जन-जन में काबिज अब भी वही जवानी थी |
सातवीं शब् अब आ गयी है पेट अन्ना का खाली है
मोनी बाबा के मुहँ पर अब भी लगी इक ताली है |
आज सिस्टम की खातिर हमने ऐसी संसद पाली है
आज सिस्टम की खातिर हमने ऐसी संसद पाली है
जिनके पेट भरे हैं लेकिन ऊपर सब कुछ खाली है |
सांसद टीवी देख रहे हैं जन-जन सडकें घेर रहे हैं
नकली वादे भेज-भेज कर आम जनता को छेड़ रहे हैं |
जनता की सहनशीलता को, कब तक ये ललकारेंगे
कल तक कलम चलाई जिसने फिर तलवार निकालेगें |
कण-कण में अवसाद हुआ है घर घर में अब शोर मचा है
जब जब सत्याग्रह हुआ है तब-तब इक इतिहास रचा है
भुझ जाएगा दीप भ्रष्टों का गर लोकपाल से खेलेंगे
गर अवसर खो दिया संसद ने इक नया इतिहास वो झेलेंगे |
गर अवसर खो दिया संसद ने इक नया इतिहास वो झेलेंगे |
हर्ष महाजन
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