ग़ज़लों की सूरत में तुझे मिलना चाहता हूँ
तसव्वर में तेरे, फूलों सा खिलना चाहता हूँ |
उम्र बीत जायेगी यूँ ही शब्दों में घुलते-घुलते
तेरी हर तहरीर में मक्ता बन ढलना चाहता हूँ |
__________हर्ष महाजन
तसव्वर में तेरे, फूलों सा खिलना चाहता हूँ |
उम्र बीत जायेगी यूँ ही शब्दों में घुलते-घुलते
तेरी हर तहरीर में मक्ता बन ढलना चाहता हूँ |
__________हर्ष महाजन
वाह.....बहुत खूब...
ReplyDeleteShukriyaaa Vidhya ji
ReplyDeleteआपकोे पोस्ट पर आकर बहुत अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteआपकोे पोस्ट पर आकर बहुत अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteसुंदर गजल..बधाई...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है
Prem sarover ji shukriyaa
ReplyDeleteDheerender ji shukriyaaa
ReplyDelete