Thursday, December 15, 2011

कितने तलख़ अंदाज़ हैं हम-कलम-ऑ-हम-जुबां के यहाँ 'हर्ष'


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कितने तलख़ अंदाज़ हैं हम-कलम-ऑ-हम-जुबां के यहाँ 'हर्ष'

अपने फ़िक्र-ओ-अंदाज़ से ही शायराना कफन सा ओउड़ा देते हैं |

_______________हर्ष महाजन 

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