Sunday, April 13, 2014

किस तरह मान लूँ कि वो शख्स रुक्सत हो जाए

...


किस तरह मान लूँ कि वो शख्स रुक्सत हो जाए,
मेरी रगों में, खोलते खून की.…वज़ह वही तो है ।

____________हर्ष महाजन

...

Kis tarah maan looN ki wo shaks ruksat ho jaaye,
Meri ragoN me kholte khoon ki wazeh wahi to hai

___________Harash Mahajan

No comments:

Post a Comment