Saturday, April 12, 2014

मेरी तन्हाइयों में जब-जब इल्लत बन सताती है वो

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मेरी तन्हाइयों में जब-जब इल्लत बन सताती है वो,
मुजरिम हूँ उसका जब-तब अजनबी बन बताती है वो ।
कब तलक उसके दिल की सरहदों पर चलेगा पहरा,
मंजिल है मेरी यही तोहमत बार बार हटाती है वो ।

--------------हर्ष महाजन




Meri tanhaaiyoN meiN jab-jab illat ban sataati hai wo,
Muzrim huN uska jab-tab ajnabi ban batati hai wo.
Kab talak uske dil kii sarhadoN par chalega pahra,
Manzil hai meri yahi tohmat baar-baar hataati hai wo.

___________Harash Mahajan

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