...
मुझको काज़ल की तरह आँखों में घुल जाने दो,
रेशमी जुल्फों को........मेरे रुख पे चले आने दो |
जाने कब तक है मिली अब ये महोलत मुझको,
अपनी बाहों में तुम, मुझे आज बिखर जाने दो |
रेशमी जुल्फों को........मेरे रुख पे चले आने दो |
जाने कब तक है मिली अब ये महोलत मुझको,
अपनी बाहों में तुम, मुझे आज बिखर जाने दो |
___________हर्ष महाजन
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