...
क्यूँ तेरे किस्से किताबों की जगह लेने लगे ,
दिल का दर्द है शायद अहसासों में बहने लगे |
रोक ले इन ज़ख्मों को ये इल्तिजा है साहिल,
कहीं ये ज़ख्म नासूर बन दिल में न रहने लगे |
_______________हर्ष महाजन
क्यूँ तेरे किस्से किताबों की जगह लेने लगे ,
दिल का दर्द है शायद अहसासों में बहने लगे |
रोक ले इन ज़ख्मों को ये इल्तिजा है साहिल,
कहीं ये ज़ख्म नासूर बन दिल में न रहने लगे |
_______________हर्ष महाजन
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