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आज का एहसास
____________
लेखन की जगह लेखक को सराहना,
सच में आया चापलूसी का ज़माना |
अधर में लेखनी अहसास चकनाचूर ,
बे-वफ़ा जब हुए पहुंचे फिर मैखाना |
आज का एहसास
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लेखन की जगह लेखक को सराहना,
सच में आया चापलूसी का ज़माना |
अधर में लेखनी अहसास चकनाचूर ,
बे-वफ़ा जब हुए पहुंचे फिर मैखाना |
लेखन की जगह लेखक को सराहना,
आस्तीन पकड़ने का ये दस्तूर पुराना |
खरबूजा छुरी पर या छुरी फिर उसी पर
कटा हो के घायल ये जानता ज़माना |
लेखन की जगह लेखक को सराहना,
सच में आया चापलूसी का ज़माना |
______हर्ष महाजन
आस्तीन पकड़ने का ये दस्तूर पुराना |
खरबूजा छुरी पर या छुरी फिर उसी पर
कटा हो के घायल ये जानता ज़माना |
लेखन की जगह लेखक को सराहना,
सच में आया चापलूसी का ज़माना |
______हर्ष महाजन
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