...
मेरी धड़कन को दुनिया.....मनाती रही,
चुप थी बे-दर्दी........हम को रुलाती रही |
दिल था टूटा मगर......मैं न टूटा कभी ,
बे-वफ़ा थी जो नज़रें.........चुराती रही |
इक खलिश थी मुझे,उसको भी रंज था,
जाने फिर क्यूँ वो...मातम मनाती रही |
बात जो कुछ भी थी....बीच उसके मेरे,
बे-वफ़ा गैरों को क्यूँ.........बताती रही |
मैं तो मायूस था.....वो खफा थी मगर ,
मैं भुलाता रहा.......वो याद आती रही |
___________हर्ष महाजन
मेरी धड़कन को दुनिया.....मनाती रही,
चुप थी बे-दर्दी........हम को रुलाती रही |
दिल था टूटा मगर......मैं न टूटा कभी ,
बे-वफ़ा थी जो नज़रें.........चुराती रही |
इक खलिश थी मुझे,उसको भी रंज था,
जाने फिर क्यूँ वो...मातम मनाती रही |
बात जो कुछ भी थी....बीच उसके मेरे,
बे-वफ़ा गैरों को क्यूँ.........बताती रही |
मैं तो मायूस था.....वो खफा थी मगर ,
मैं भुलाता रहा.......वो याद आती रही |
___________हर्ष महाजन
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