Wednesday, August 31, 2016

लोग जाने शहर में किस तरह जी रहे हैं

एक मुक्तक

...
लोग जाने शहर में....किस तरह जी रहे हैं,
इन हवाओं में शामिल ज़हर तक पी रहे हैं |
गाँव जब से उठे हैं....शहर की चाल लेकर,
तब से चादर ग़मों की....शहरिये सी रहे हैं |
हर्ष महाजन 'हर्ष'

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