...
मुझको अफ़सोस है...सरहद पे कलम चलने लगी,
फिर शहीदों की चिताओं पे........आँखे भरने लगी |
हर तरफ अब तो.....सुलगता हुआ सहरा सा जहाँ,
कुछ तो दुश्मन कुछ अपनों का सफ़र करने लगी |
फिर शहीदों की चिताओं पे........आँखे भरने लगी |
हर तरफ अब तो.....सुलगता हुआ सहरा सा जहाँ,
कुछ तो दुश्मन कुछ अपनों का सफ़र करने लगी |
______________हर्ष महाजन
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