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कितने फसादों से भरा.....किस्सा कह देते हो 'हर्ष',
लिखने को मुझसे जियादा कमज़र्फ़ यहाँ कोई नहीं |
___________________हर्ष महाजन
कितने फसादों से भरा.....किस्सा कह देते हो 'हर्ष',
लिखने को मुझसे जियादा कमज़र्फ़ यहाँ कोई नहीं |
___________________हर्ष महाजन
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