...
चाहूँ मैं तब मुलाक़ात हो..........उनमें ग़ज़ब जज़्बात हों,
कुछ फूल लब पे खिल उठें.....कुछ आँखों में सवालात हो |
गर रो पडूं , बेकरार हो.....तूफ़ान-ए-गम भी गर साथ हो,
न रहे ये इश्क मोहताज़ फिर, कुछ इस तरह शुरुआत हो |
कुछ फूल लब पे खिल उठें.....कुछ आँखों में सवालात हो |
गर रो पडूं , बेकरार हो.....तूफ़ान-ए-गम भी गर साथ हो,
न रहे ये इश्क मोहताज़ फिर, कुछ इस तरह शुरुआत हो |
_______________________हर्ष महाजन
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