Wednesday, October 8, 2014

चाहूँ मैं तब मुलाक़ात हो..........उनमें ग़ज़ब जज़्बात हों

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चाहूँ मैं तब मुलाक़ात हो..........उनमें ग़ज़ब जज़्बात हों,
कुछ फूल लब पे खिल उठें.....कुछ आँखों में सवालात हो |
गर रो पडूं , बेकरार हो.....तूफ़ान-ए-गम भी गर साथ हो,
न रहे ये इश्क मोहताज़ फिर, कुछ इस तरह शुरुआत हो |


_______________________हर्ष महाजन

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