कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया है जादुई, छन्द श्रेष्ठ श्रीमान|
दोहा रोला का मिलन, इसकी है पहिचान||
इसकी है पहिचान, मानते साहित सर्जक|
आदि-अंत सम-शब्द, साथ बनता ये सार्थक|
लल्ला चाहे और, चाहती इसको ललिया|
सब का है सिरमौर छन्द, प्यारे, कुण्डलिया||
__________ NAVIN C. CHATURVEDI
कुण्डलिया छन्द का विधान उदाहरण सहित
कुण्डलिया है जादुई
2112 2 212 = 13 मात्रा / अंत में लघु गुरु के साथ यति
छन्द श्रेष्ठ श्रीमान|
21 21 212 = 11 मात्रा / अंत में गुरु लघु
दोहा रोला का मिलन
22 22 2 111 = 13 मात्रा / अंत में लघु लघु लघु [प्रभाव लघु गुरु] के साथ यति
इसकी है पहिचान||
112 2 1121 = 11 मात्रा / अंत में गुरु लघु
इसकी है पहिचान,
112 2 1121 = 11 मात्रा / अंत में लघु के साथ यति
मानते साहित सर्जक|
212 211 211 = 13 मात्रा
आदि-अंत सम-शब्द,
21 21 11 21 = 11 मात्रा / अंत में लघु के साथ यति
साथ, बनता ये सार्थक|
21 112 2 211 = 13 मात्रा
लल्ला चाहे और
11 22 21 = 11 मात्रा / अंत में लघु के साथ यति
चाहती इसको ललिया|
212 112 112 = 13 मात्रा
सब का है सिरमौर
11 2 2 1121 = 11 मात्रा / अंत में लघु के साथ यति
छन्द प्यारे कुण्डलिया||
21 22 2112= 13 मात्रा
साभार
हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment