Saturday, October 12, 2013

कभी मोहब्बत कभी दूरियां, कभी कुर्बत कभी रंज-ओ-मलाल


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कभी मोहब्बत कभी दूरियां, कभी कुर्बत कभी रंज-ओ-मलाल,
ये तो खुदा का फज़ल समझो मेरा प्यार खुद ही संवर जाता है |

_____________________________हर्ष महाजन

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