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शज़र पतझड़ में देखो तो...... बरसातों पे भ्रम होता,
किसी पत्थर-नुमा दिल पे दो दस्तक तो नरम होता ।
किसी के दूर जाने से..............उम्मीदें टूट जाती हैं ,
पर वो आस भर दिल की उसी से इश्क़ चरम होता ।
_________________हर्ष महाजन
शज़र पतझड़ में देखो तो...... बरसातों पे भ्रम होता,
किसी पत्थर-नुमा दिल पे दो दस्तक तो नरम होता ।
किसी के दूर जाने से..............उम्मीदें टूट जाती हैं ,
पर वो आस भर दिल की उसी से इश्क़ चरम होता ।
_________________हर्ष महाजन
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