Saturday, March 29, 2014

किस हक़ से इश्क का नया दौर चला सकते हैं हम

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किस हक़ से इश्क का नया दौर चला सकते हैं हम,
इक आशियाँ जो दिल में है कैसे जला सकते हैं हम ।
उठाने को सितम तो सभी मंज़ूर है मुझे 'हर्ष'  मगर,
हाथों में नए दोस्त की लकीर बना सकते हैं हम ।


---------------हर्ष महाजन

Kis haq se Ishq ka naya dour chala sakte haiN ham,
Is aashiyaN jo dil meiN hai kaise jalaa sakte haiN ham.
Uthaane ko sitam to sabhi manzoor haiN mujhe'harash' par,
haathoN meiN naye dost ki  lakeer bana sakte haiN.


______________Harash Mahajan

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