…
व्यंग
+++++
मैं संजय हूँ
महाभारत का नहीं
कलयुग का !
अँधा हूँ !
जन्मांध नहीं हूँ।
महाभारत में
दूरदृष्टि से,
मैंने सच्चाई परोसी थी ।
आजकल धूर्त दृष्टि से
झूठ परोस रहा हूँ मैं ।
-----हर्ष महाजन
व्यंग
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मैं संजय हूँ
महाभारत का नहीं
कलयुग का !
अँधा हूँ !
जन्मांध नहीं हूँ।
महाभारत में
दूरदृष्टि से,
मैंने सच्चाई परोसी थी ।
आजकल धूर्त दृष्टि से
झूठ परोस रहा हूँ मैं ।
-----हर्ष महाजन
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