…
वो शख्स सवालों में नज़र आने लगे,
जाने क्यूँ वो खुद से ही बतियाने लगे ।
बिन मिले लगा कर तोहमतें चेहरों पे,
बे-सबब अंदाज़-ए -बयाँ बताने लगे ।
किसी तरह झांकें वो दिल के दरीचों में,
शायद खुद ये रिश्ता समझ आने लगे ।
कब तक चलेंगे रिश्ते उधारी समझ से ,
इक इक कर शायद इन को गंवाने लगे ।
नहीं होता इक सा इम्तिहान सबका यारों
जब आएगा समझ शायद पछताने लगे ।
___________हर्ष महाजन
वो शख्स सवालों में नज़र आने लगे,
जाने क्यूँ वो खुद से ही बतियाने लगे ।
बिन मिले लगा कर तोहमतें चेहरों पे,
बे-सबब अंदाज़-ए -बयाँ बताने लगे ।
किसी तरह झांकें वो दिल के दरीचों में,
शायद खुद ये रिश्ता समझ आने लगे ।
कब तक चलेंगे रिश्ते उधारी समझ से ,
इक इक कर शायद इन को गंवाने लगे ।
नहीं होता इक सा इम्तिहान सबका यारों
जब आएगा समझ शायद पछताने लगे ।
___________हर्ष महाजन
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