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उसने कुछ इस तरह मेरे आशियाने पे सेंध लगाई है ,
ज्यूँ छत पे बरसाती पानी के निकास पर गेंद लगाई है |
कौन रोक पायेगा दो दिलों के मिलन को इस बंदिश से,
खुदा ने भी कुछ लकीरों से हाथों पर इक रेंज लगाई है ||
___________________हर्ष महाजन
___________________हर्ष महाजन
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