...
ज़िंदगी को मैंने कभी भी दामों से नहीं परखा
ज़िन्दगी जुल्फ के साए में बीत जाए तो क्या |
ज़िंदगी को मैंने कभी भी दामों से नहीं परखा
ज़िन्दगी जुल्फ के साए में बीत जाए तो क्या |
उसने मेरी आँखों को हमेशां समंदर ही दिए हैं,
दे दे के दर्द वो मेरा भरोसा जीत जाए तो क्या |
_________________हर्ष महाजन
दे दे के दर्द वो मेरा भरोसा जीत जाए तो क्या |
_________________हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment