Monday, January 14, 2013

मेरे दिल के टुकड़ों पर तेरा महल देख रहा हूँ मैं

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मेरे दिल के टुकड़ों पर तेरा महल देख रहा हूँ मैं,
अश्कों की नदिया में तेरी चहल देख रहा हूँ मैं |
क्या गुनाह किया जो टुकड़े भी तुझे रास न आये,
हाथों से उडती लकीरों की पहल देख रहा हूँ मैं |

___________________हर्ष महाजन |

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