Friday, January 18, 2013

ये मौसम कितना खुशगवार हुआ जाता है

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ये मौसम कितना खुशगवार हुआ जाता है,
शख्स जो रुसवा था बीमार हुआ जाता है |

तलख धुप के अहसास से दिल उदास था जो ,
गेसुओं की छाँव से आबशार हुआ जाता है |

इक उम्र से तस्वीर जो तसव्वुर में थी मेरे,
दिल आज उसका तलबगार हुआ जाता है |

आंसुओं की कीमत शायद पहचान ली उसने,
बस अब दिमागों दिल बेकरार हुआ जाता है |

उसकी रानाइयां मुझ पर इस कदर छायी हैं,
मेरे शब्दों में खुद अब इज्र्हार हुआ जाता है |
किस तरह उतर आया फलक मेरे जिस्म में,
खुद सोच कर अब 'हर्ष' खुद्दार हुआ जाता है |

आबशार=झरना

_______________हर्ष महाजन |

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