Sunday, January 20, 2013

मेरे अहसास किताबों की तरह खामोश क्यूँ होने लगे

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मेरे अहसास किताबों की तरह खामोश क्यूँ होने लगे,
तासीर इनकी देख यूँ अब लोग बेहोश क्यूँ होने लगे |

__________________हर्ष महाजन |



Mere ahsaas kitaboN ki tarah khaamosh kyuN hone lage,
Taaseer Inki dekhlog yuN ab log behosh kyuN hone lage.

_________________________Harash Mahajan

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