Saturday, March 23, 2013

हर लम्हा मेरी गजलों में कुछ दर्द सी लहराई है

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हर लम्हा मेरी गजलों में कुछ दर्द सी लहराई है,
लफ्ज़ निकलें कुछ इस तरह कलम कुम्हलाई है |
जिंदा हूँ कि कह जाऊं कुछ इस बेदर्द दुनिया को,
शहीदों ने फकत मर कर ही पन्नों पे जगह पाई है |

________________हर्ष महाजन

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