...
दो कदम रुक के चलो देख उनका गाम आया,
बाद मुद्दत के आज फिर से मेरा जाम आया |
ये कलम रूकती नहीं खुश हूँ खुदा खैर करे,
आज महबूब की ग़ज़ल में मेरा नाम आया |
बे-वफ़ा थे वो माना इश्क भी निभा न सके,
कसक को देख उनकी यूँ लगा मुकाम आया |
मैं सोया भी न था कि उनका अक्स आने लगा,
लगा यूँ मुझको उनके दिल से इक पैगाम आया |
हुआ था दर्द बहुत दिल पे जब चले थे कदम,
मगर वो ज़ियाद्ती भी रख के मैं तमाम आया |
_______________हर्ष महाजन
दो कदम रुक के चलो देख उनका गाम आया,
बाद मुद्दत के आज फिर से मेरा जाम आया |
ये कलम रूकती नहीं खुश हूँ खुदा खैर करे,
आज महबूब की ग़ज़ल में मेरा नाम आया |
बे-वफ़ा थे वो माना इश्क भी निभा न सके,
कसक को देख उनकी यूँ लगा मुकाम आया |
मैं सोया भी न था कि उनका अक्स आने लगा,
लगा यूँ मुझको उनके दिल से इक पैगाम आया |
हुआ था दर्द बहुत दिल पे जब चले थे कदम,
मगर वो ज़ियाद्ती भी रख के मैं तमाम आया |
_______________हर्ष महाजन
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