Sunday, March 24, 2013

आज आँखों में अश्क बन के तु आया भी बहुत

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आज आँखों में अश्क बन के तु आया भी बहुत, 
याद   बन   तूने  ख्यालों  में  रुलाया भी बहुत |

आज मुझको तो जुदाई के सिवा कुछ न मिला ,
जो किए तूने सितम  उसने सताया भी बहुत |

अब तलक आँखों में अश्कों को उभरने न दिया,
चेहरा हाथों में तेरे रख के दिखाया भी बहुत |

ज़िंदगी मेरी शुरू तुझसे थी तुझपे थी ख़तम,
नाम मिटटी पे तिरा लिख के मिटाया भी बहुत |

तू समझता भी नहीं अब तू न समझेगा कभी,
इश्क था पाक तुझसे, मैंने छुपाया भी बहुत |


_______________हर्ष महाजन

बहर
2122          2122        2122       212

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