ग़ज़ल शिल्प ज्ञान --6
ग़ज़ल शिल्प ज्ञान में हमने अभी तक जो भी सीखा उसको दोहराते हुए आगे बढ़ते हैं ----गज़ल
को लेकर हमेशां वाद-विवाद ही हुआ है....बहुत से तकनीकी शब्द हैं जिनके
बारे में विस्तृत जानकारी...तो परिचर्चा मे उठे सवालों मे ही होती है ..लेकिन मे ये सब मुमकिन नहीं होता ....सबसे पहले तो हम यहाँ दुबारा ये जानने की कोशिश करते हैं
के ग़ज़ल है किस बला का नाम | इसका प्रारंभिक ज्ञान ही हमारे लिए बहुत ज़रूरी
है |..
एक अच्छा और क़ामयाब शायर होने के लिये चार चीज़ें बहुत ज़रूरी हैं विचार, शब्द, व्याकरण और उसका सभ्य तरीके से
प्रस्तुतिकरण और आजकल के दौर में या किसी भी दौर में आपके पास....विचार
तभी होंगें ....जब आप अपने समय के अनुसार उसकी नब्ज़ से परिचित होंगें ,
माहौल से परिचित होंगे आपके आसपास क्या क्या घटित हो रहा है ...वर्तमान की
क्या मांग है....अब कलयुग में सतयुग तो कहाँ आ पायेगा...। हमें अपने शे'रों में कुछ लिखने के लिए या कहने के लिए आज के दौर की नब्ज़
ही टटोलनी होगी | चाहे
वो भारत के भविष्य की बात हो या एक लाचार नारी के अस्तितित्व की |
मेरे
गुरूवर कहते हैं आज के दौर की नब्ज़ में जो समा रहा हो वही लोगों की पसंदगी के दायरे में आयेगा..और लोगों को सोचने पर मजबूर करेगा..|आइये समाज
कि दिशा को टटोलें |
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