उम्र भर मेरी वफाओं का सौदा ही तो हुआ है
कैसे बताऊँ दोस्त वो सब अब जहां-जहां है |
तेरा हर जज्बा मेरे दिल में घर किये हुए है
मुद्दत हो गयी बिछुड़े पर वो अब भी जवाँ है |
तेरी हर ख्वाईश मेरी किताबों में यूँ दर्ज है
जिस तरह गुलाब की शाक पे काँटा जहां है |
तेरी हर सांस आज भी महसूस कर सकता हूँ
ये हुनर तो आज भी मेरी रगों में रवां है |
कैसे कहुं तुझे ऐतबार की मण्डी मैं ही तो हूँ
मालूम है तुझे वो सब मेरे दिल में कहाँ है |
______________हर्ष महाजन |
कैसे बताऊँ दोस्त वो सब अब जहां-जहां है |
तेरा हर जज्बा मेरे दिल में घर किये हुए है
मुद्दत हो गयी बिछुड़े पर वो अब भी जवाँ है |
तेरी हर ख्वाईश मेरी किताबों में यूँ दर्ज है
जिस तरह गुलाब की शाक पे काँटा जहां है |
तेरी हर सांस आज भी महसूस कर सकता हूँ
ये हुनर तो आज भी मेरी रगों में रवां है |
कैसे कहुं तुझे ऐतबार की मण्डी मैं ही तो हूँ
मालूम है तुझे वो सब मेरे दिल में कहाँ है |
______________हर्ष महाजन |
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