...
उनकी मुहब्बत को...... अपने शेरों में पिरो दिया,
बे-तकल्लुफी की मैंने....कहा उसने और रो दिया |
यही बहुत था मेरे लिए....अपनी मंजिल का पता,
दिल को निकाल कागज़ पर...अश्कों से धो दिया |
बे-तकल्लुफी की मैंने....कहा उसने और रो दिया |
यही बहुत था मेरे लिए....अपनी मंजिल का पता,
दिल को निकाल कागज़ पर...अश्कों से धो दिया |
___________________हर्ष महाजन
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