Tuesday, November 18, 2014

कुछ तनहा हो रही है महफ़िल

...

कुछ तनहा हो रही है महफ़िल,
नए मनके पिरो रही है महफ़िल |


ख्वाब और उम्मीद हैं तो बहुत,
मगर अभी सो रही है महफ़िल |


किस तरह ज़लवा फिरोश होगी,
कुछ नफरत ढो रही है महफ़िल|


खाली हैं कुछ पहर कुछ मरहले,
शायद कुछ बो रही है महफ़िल |


कुछ पहरेदार...........बढाने होंगे,
दिन में लो खो रही है महफ़िल |


_______हर्ष महाजन

...

Kuch tanha.........ho rahi hai mehfil
Naye manke......piro rahi hai mehfil.

Khwaab our umeed haiN toh bahut,
Magar abhi..........so rahi hai mehfil.

Kis tarah................jalwa-firosh hogi,
kuch nafrat.........Dho rahi hai mehfil.

Khali haiN kuch pehar kuch marhale,
Shayad kuch.........bo rahi hai mehfil.

Kuch pehredaar....badhaane hoNge,
Din meiN lo..........kho rahi hai mehfil.

 

_______Harash Mahajan

 


मनके=मोती
लो = रौशनी
ढो = Dho

No comments:

Post a Comment