...
कितने अजब से...खयालात हैं...उस शख्स के,
सहरा में.......घर बसाने की......बात करता है |
सहरा में.......घर बसाने की......बात करता है |
सदियों से खुश्क थीं आँखें जिसकी नफरत से,
आज अश्कों में......नहाने की बात.....करता है |
सुफिआना इल्म..........बेहिसाब है उसके पास,
मगर आज वो.........मैखाने की बात करता है |
इश्क जिसे नफरत का पैमाना कहा था कभी,
जुल्फों में फूल........सजाने की बात करता है |
पूछा नहीं जिसने खुदा को भी किसी जुर्म में,
दिल धड़का तो.......ज़माने की बात करता है |
_______________हर्ष महाजन
आज अश्कों में......नहाने की बात.....करता है |
सुफिआना इल्म..........बेहिसाब है उसके पास,
मगर आज वो.........मैखाने की बात करता है |
इश्क जिसे नफरत का पैमाना कहा था कभी,
जुल्फों में फूल........सजाने की बात करता है |
पूछा नहीं जिसने खुदा को भी किसी जुर्म में,
दिल धड़का तो.......ज़माने की बात करता है |
_______________हर्ष महाजन
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