Friday, November 28, 2014

अब तो ज़माने में भी नहीं है चलन नरम मिजाजी का 'हर्ष'

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अब तो ज़माने में भी नहीं है चलन नरम मिजाजी का 'हर्ष',
दामन में गर अश्क भी गिरे तो खनक की आवाज़ आती है |

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Ab toh zamaane maiN bhi nahiN hai chalan naram mizaazi ka 'harash',
Daaman meiN gar ashq bhi gire toh........... khanak ki aawaaz aati hai.

_____________हर्ष महाजन 

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