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जाने उल्फत में कई लोग सज़ा देते हैं,
जाम-ए-इंसा पे बवालों का मजा लेते हैं |
मर्ज़-ए-दिल उनका मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं,
वो दवा धूप की, जुल्फों से घटा देते हैं |
जाने उल्फत में कई लोग सज़ा देते हैं,
जाम-ए-इंसा पे बवालों का मजा लेते हैं |
मर्ज़-ए-दिल उनका मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं,
वो दवा धूप की, जुल्फों से घटा देते हैं |
_____________हर्ष महाजन
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