Tuesday, June 30, 2015

तनहा रहकर अपनों की याद खूब आती है

...

तनहा रहकर अपनों की याद खूब आती है,
अब मगर अपनों से मुलाकातें नहीं होती |

___________हर्ष महाजन

No comments:

Post a Comment