Friday, December 27, 2013

गर जो मुमकिन हो तो मुझपे यूँ तुम यक़ीन करना


गर जो मुमकिन हो तो मुझपे यूँ तुम यक़ीन करना,
ये दिल जो धड़के तेरे वास्ते……न तकसीम करना ।
तुम्ही को याद करके फिर.…....तुझे मैं तहरीर करूँ ,
तू दिल के पास बहुत…... कहना न मुतमईन करना ।

___________________हर्ष महाजन

मुतमईन–संतुष्ट

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