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अर्से से वो शख्स उसके आस-पास मंडराता रहा,
खुशी तो नहीं उसके क़फ़न की आस लगाता रहा ।
मोहब्ब्त भी की उसने तो फ़क़ीरों की तरह मगर,
बिखरा भी तो इस कदर कि उम्र-भर पछताता रहा ।
___________________हर्ष महाजन
अर्से से वो शख्स उसके आस-पास मंडराता रहा,
खुशी तो नहीं उसके क़फ़न की आस लगाता रहा ।
मोहब्ब्त भी की उसने तो फ़क़ीरों की तरह मगर,
बिखरा भी तो इस कदर कि उम्र-भर पछताता रहा ।
___________________हर्ष महाजन
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