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कोई जूनून समझता है........कोई कानून समझता है,
तुम्हें तुमसे तो कुछ ज्यादा मेरा मजमून समझता है ।
अब दुनिया की तुम नज़रों से छुपाते क्यूँ हो अपने को ,
मुसीबत में मुझे हर शख्स अब अफलातून समझता है ।
________________हर्ष महाजन
कोई जूनून समझता है........कोई कानून समझता है,
तुम्हें तुमसे तो कुछ ज्यादा मेरा मजमून समझता है ।
अब दुनिया की तुम नज़रों से छुपाते क्यूँ हो अपने को ,
मुसीबत में मुझे हर शख्स अब अफलातून समझता है ।
________________हर्ष महाजन
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