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बे-वज़ह वो, खुद को तड़पाने लगे,
अंगूर खट्टे हैं हाथ नहीं आने लगे ।
बा-मुश्किल बनाया था जो आशियाँ,
कर्मों के ज़लज़ले खुद उसे ढाने लगे ।
________हर्ष महाजन
बे-वज़ह वो, खुद को तड़पाने लगे,
अंगूर खट्टे हैं हाथ नहीं आने लगे ।
बा-मुश्किल बनाया था जो आशियाँ,
कर्मों के ज़लज़ले खुद उसे ढाने लगे ।
________हर्ष महाजन
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