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छोड़ कर मुझको मेरे अश्क़ किधर जायेंगे,
मेरे अहसास बन अखियों से उतर जायेंगे ।
कब तलक दर्द से घायल मेरी पलकें होंगी,
फिर वो बन दरिया शहरों में बिखर जायेंगे ।
____________हर्ष महाजन
छोड़ कर मुझको मेरे अश्क़ किधर जायेंगे,
मेरे अहसास बन अखियों से उतर जायेंगे ।
कब तलक दर्द से घायल मेरी पलकें होंगी,
फिर वो बन दरिया शहरों में बिखर जायेंगे ।
____________हर्ष महाजन
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