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हमने गर रेत पे घर अपना बना लिया होता,
खुद ही किस्मत को जुदा तुमसे यूँ किया होता |
इश्क में राहत-ए-सकूं जो तुझ को हासिल है,
ये गुनाह हमने कभी तुझ से न किया होता |
_____________हर्ष महाजन
हमने गर रेत पे घर अपना बना लिया होता,
खुद ही किस्मत को जुदा तुमसे यूँ किया होता |
इश्क में राहत-ए-सकूं जो तुझ को हासिल है,
ये गुनाह हमने कभी तुझ से न किया होता |
_____________हर्ष महाजन
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