Monday, July 29, 2013

कभी तेरी जुल्फों के साए की थी बहुत ख्वाहिश

...

कभी तेरी जुल्फों के साए की थी बहुत ख्वाहिश,
आज बेसबब चेहरे से हटा देने को जी चाहता है |
तुम्हे पा लेने की वो तड़प मुझे आज भी याद है,
मगर आज दिल से भुला देने को जी चाहता है |

_________________हर्ष महाजन

No comments:

Post a Comment